विवेक शर्मा/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 15 अप्रैलपीजीआई की दीवारों ने सिर्फ मरीजों की आहटें नहीं सुनीं, बल्कि हर ऐतिहासिक पल को कैमरे में कैद किया है। इन तस्वीरों ने न केवल चिकित्सा इतिहास को संभाला, बल्कि संस्थान की आत्मा को भी संजोए रखा। यही कहानी कहने के लिए पीजीआईएमईआर के क्लीनिकल फोटोग्राफी विभाग ने मंगलवार को एक फोटोग्राफी प्रदर्शनी और कार्यशाला का आयोजन किया।प्रदर्शनी का उद्घाटन निदेशक प्रो. विवेक लाल ने किया। उन्होंने कहा, 'हर तस्वीर मरीज की जद्दोजहद, डॉक्टर के समर्पण और संस्थान के सफर की गवाही है। मेडिकल फोटोग्राफी हमारे शोध, पढ़ाई और सेवा का मूक, लेकिन शक्तिशाली हिस्सा है।'समारोह में डिप्टी डायरेक्टर पंकज राय, प्रो. आरके राठौ (डीन एकेडमिक्स), प्रो. संजय जैन (डीन रिसर्च), प्रो. विपिन कौशल (चिकित्सा अधीक्षक) और प्रो. परमजीत सिंह (फोटोग्राफी विभाग प्रभारी) मौजूद रहे। प्रो. परमजीत सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल तस्वीर खींचना नहीं, बल्कि चिकित्सा को दृश्य रूप देना है, ताकि हर छात्र, डॉक्टर और शोधकर्ता इन छवियों से कुछ सीख सके।दुर्लभ तस्वीरेंप्रदर्शनी में 1963 से लेकर अब तक की दुर्लभ ऐतिहासिक तस्वीरें, छात्रों की रचनात्मक कलाकृतियां और पुराने कैमरों का अनूठा संग्रह लोगों को पीजीआई की यात्रा पर ले गया। पुराने ऑपरेशन थिएटर, संस्थान में आए प्रमुख हस्तियों के दौरे और पहले बैच की कक्षाओं की कुछ तस्वीरें ऐसी थीं, जिन्हें देखकर वरिष्ठ डॉक्टरों की आंखें भी नम हो गईं।फोटोग्राफरों को मिला मंच, सम्मानइस मौके पर संस्थान के अनुभवी फोटोग्राफरों इंदरमोहन आहूजा, सुखविंदर सिंह, कुलदीप सोनी और गुरमीत सिंह को सम्मानित किया गया। दशकों तक कैमरे के पीछे रहकर इन्होंने पीजीआई की गाथा रची और आज मंच पर उनके योगदान को खुले दिल से सराहा गया।नयी पीढ़ी के लिए नया आयामकार्यक्रम में यह भी उजागर किया गया कि पीजीआई देश का पहला संस्थान है, जहां 'मेडिकल एनिमेशन और ऑडियो-विजुअल क्रिएशन' में बीएससी कोर्स शुरू हुआ है। चार बैचों के छात्र पास होकर एआईआईएमएस सहित देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि पीजीआई नवाचार में भी अग्रणी है।