कुरुक्षेत्र की भूमि से विश्व को दिया जा रहा प्राकृतिक खेती का संदेश : नवीन जिंदल
कुरुक्षेत्र, 9 मई (हप्र)
सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि कुरुक्षेत्र भूमि से पूरे विश्व को प्राकृतिक खेती का संदेश दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री की पहल को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और पद्मश्री डॉ. हरिओम आगे बढ़ा रहे हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा तब मिलेगा, जब किसानों में जुनून होगा। खेती से दुनिया आगे बढ़ रही है। कृषि के माध्यम से किसान खुद के साथ-साथ समाज और देश को मजबूत बना सकता है। कुशल, समृद्ध एवं नया भारत बनाने का सपना साकार होगा। वे शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित 3 दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी-तीगुनी हो। इसके लिए केंद्र व प्रदेश सरकार अनेक योजनाओं को लाकर प्रयास कर रही है। सभी काम सरकारें नहीं कर सकती, इसके लिए किसानों को भी आगे आना होगा। अपनी खेती के तरीके को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि बहुत लोग अपने शरीर और परिवार का पूरा ख्याल रखते हैं। ऐसे लोग नेचुरल उत्पादों का प्रयोग करते हैं। जो रासायनिक उत्पादों से काफी अधिक महंगा है। किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के अंतर को भी समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस तरह किसानों के लिए 3 दिन का सेमीनार आयोजित किया है। इसी प्रकार का सेमीनार पशुपालकों और युवाओं के लिए भी आयोजित किया जाएगा।
जिंदल ने कहा कि किसानों के लिए लगाए 3 दिवसीय सेमिनार में प्रगतिशील किसान और उन्नत किसान नई तकनीकों को लेकर आए हैं। किसानों को उनसे बात करनी चाहिए। मौके पर पूंडरी विधायक सतपाल जाम्बा, भाजपा के जिलाध्यक्ष तेजिन्द्र सिंह गोल्डी, भाजपा नेता सुभाष कलसाना, पद्मश्री डाॅ. हरिओम, कृषि उपनिदेशक डाॅ. कर्मचन्द, जिला परिषद चेयरमैन कंवलजीत कौर, नगर परिषद चेयरमैन माफी ढांडा, जिला परिषद कैथल चेयरमैन कर्मबीर कौल, पूर्व विधायक तेजवीर सिंह, भाजपा नेता रविंद्र सांगवान, मंडल अध्यक्ष जगदीप सांगवान, राहुल ढींगड़ा समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 2481 करोड़ की योजना जारी
पद्मश्री डॉ. हरिओम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 2481 करोड़ की योजना जारी की है। प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सांसद नवीन जिंदल ने संसद में मुद्दा उठाने के बाद किसानों जो जागरूक करने की मुहिम शुरू कर दी है। पिछले वर्ष देश के 12 वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया कि खाद्य सुरक्षा को 75 प्रतिशत गेहूं व धान की फसल से पूरा किया जाता है। रिपोर्ट में आगे बताया कि वर्ष 1970 से अब तक गेहूं व धान की फसल के पोषक तत्वों में 45 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है और आने वाले 15 वर्षों में गेहूं व धान दोनों फसल खाने योग्य नहीं बचेगी। जमीनी पानी का स्तर और गुणवत्ता दोनों की खराब होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 21 जिलों में नाइट्रेट व क्लोराइड बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ गया है।