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किसान से जहान होने की तार्किकता

04:00 AM Jun 01, 2025 IST
किसान से जहान होने की तार्किकता
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अरुण नैथानी
ऐसे वक्त में जब लोग स्वांत: सुखाय के लिये पुस्तकों की रचनाओं में रत हैं, गुरविंदर सिंह घुमन ने किसानों की गहरी टीस को महसूस किया है। निश्चय ही इस दर्द का शब्दाकंन एक ऋषिकर्म ही कहा जाएगा। आये दिन किसान सड़कों पर उतरते रहे हैं। विभिन्न मांगों संग, सबसे बड़ा मुद्दा कृषि उपजों का न्यायसंगत मूल्य पाना होता है। घुमन किसानों के दर्द को गहरे तक महसूस करते हैं। वे किसान भी हैं, इसलिए कृषि के परिवेश की विसंगतियों को गहरे तक जानते हैं। उनके शब्दों के गहरे निहितार्थ हैं।

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दरअसल, गुरविंदर सिंह घुमन वर्षों से विभिन्न मंचों से किसानों की समस्याओं को उठाते रहे हैं। वे शासन-प्रशासन का ध्यान उन विसंगतियों की ओर दिलाते रहे हैं, जिसके चलते किसान को उसकी खून-पसीने की उपज का न्यायसंगत मूल्य नहीं मिल पाता। किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों को रेखांकित करते हुए ही उन्होंने पुस्तक ‘किसान से जहान’ प्रकाशित की है। महत्वपूर्ण यह है कि यह पुस्तक अंग्रेजी में ‘सोअर ऑफ लाइफ’ और पंजाबी में ‘किसान नाल जहान’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। इस प्रयास से पुस्तक के पाठकों का दायरा विस्तृत हुआ है। वे किसानों के मुख्य मुद्दों को हिंदी के साथ ही अंग्रेजी व पंजाबी के पाठकों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं।दरअसल, खेती-किसानी व कारोबार से जुड़े गुरविंदर सिंह घुमन ने किसान के दर्द को करीब से महसूस किया है। उनका मानना है कि हमारी खरीद प्रणाली की विसंगतियां व बाजार की अपूर्णता से किसान को उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता है। पुस्तक में बाजार की अपूर्णता से हलकान होते किसान, आंदोलन और समाधान, दोषपूर्ण बाजार से जीविका-जीवन के संकट, किसानों को सुनें फिर गुनें, दुखों की खेती करता है किसान, आय में गिरावट से बदहाली, उचित कीमत तय करने की चुनौती, घाटे के चलते किसानी से मोहभंग, जीने लायक तो हो आय, न्याय की कसौटी पर तो खरा उतरे मूल्य निर्धारण, न्यूनतम समर्थन मूल्य की हकीकत, बाजार अनियंत्रित फेल सब्सिडी का मंत्र, मौत को गले लगाता अन्नदाता, किसानों को राहत का स्थायी तंत्र, बाजार में सुधार से बढ़ेगी आय, कृषि के छिप-ढके बड़े संकट, स्तब्ध करने वाली हानि, किसान को सशक्त करने की दिशा में हो काम, बदहाली के बीज, हकीकत बने सिफारिशें, देश भी उठाये पराली निस्तारण का खर्च, छोटी जोत बने लाभकारी, सुधारों पर श्वेत-पत्र लाएं और समाधान सरकार के पास है आदि शीर्षकों से किसान के दर्द की जीवंत तस्वीर उकेरी गई है।

पुस्तक : किसान से जहान लेखिका : गुरविंदर सिंह घुमन प्रकाशक : ब्लू रोज पब्लिशर, नयी दिल्ली पृष्ठ : 64 मूल्य : रु. 149.

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