कलाएं मिलकर मनाती हैं उत्सव
धीरज बसाक
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो में एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिरों की पृष्ठभूमि में 51वां साप्ताहिक नृत्य समारोह 26 फरवरी तक, मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग, उस्ताद अलाउद्दीन खां, संगीत एवं कला अकादमी और मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के माध्यम से आयोजित हो रहा है। भारतीय नृत्यशैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ नृत्य महोत्सव है, जो राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है। इस समारोह में पूरी दुनिया के शास्त्रीय नर्तक और नर्तकियां अपनी प्रस्तुतियां देने आते हैं। साल 1975 से आयोजित इस समारोह में, भारत की सभी प्रसिद्ध नृत्यशैलियों जैसे- भरतनाट्यम, ओडिसी, कत्थक, मोहिनीअट्टम, कुच्चिपुड़ी, कथकली, यक्षज्ञानम और मणिपुरी आदि के अनेक युवा और वरिष्ठ नृत्य कलाकार अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पूरे साल समारोह की बाट जोहते हैं।
बीस फरवरी को इस महोत्सव के तहत शास्त्रीय नृत्य मैराथन की भव्य शुरुआत मंदिर प्रांगण से हुई, जिसका विशेष आयोजन खजुराहो में जनजातीय आदिवर्त एवं लोककला राज्य संग्रहालय द्वारा हुआ। 26 फरवरी और इस अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समारोह में आखिरी दिन की शुरुआत महाराष्ट्र के पीयूष राज-सुनील संकरा द्वारा दी जाने वाली कत्थक नृत्य की प्रस्तुति से होगी और महाराष्ट्र की ही मीनाक्षी शेषाद्री और दिल्ली के राजा रेड्डी के कुच्चिपुड़ी प्रस्तुति के साथ समारोह का समापन होगा।
इस बेहद भव्य और कलाओं के विख्यात महोत्सव में नृत्य प्रस्तुतियों के साथ-साथ हर दिन कला वार्ताएं, कला प्रदर्शनियां, व्याख्यान, संवाद, सहप्रदर्शन, नाद, चित्रकथन, रूपकंर कलाकृतियों की प्रदर्शनी, सृजन, हुनर और संवाद की एक से एक बढ़कर प्रदर्शनियां साथ-साथ चलेंगी। स्वाद में देशभर के व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है। हुनर के तहत पारंपरिक शिल्पों के प्रदर्शन और उनका अवलोकन तथा विक्रय किया जाता है। जबकि सृजन दीर्घा में पारंपरिक शिल्प निर्माण तकनीक का प्रदर्शन होता है, रूपंकर दीर्घा में मध्य प्रदेश राज्य, रूपंकर कला पुस्कार में चयनित कलाकृतियों की प्रदर्शनी होती हैं तो चित्रकथन दीर्घा में नृत्योत्सव का सजीव चित्राकंन किया जाता है।
जैसा कि हम जानते हैं, नाद भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत में सबसे ज्यादा अनुभूत की जाने वाली ध्वनि है। खजुराहो नृत्य समारोह के दौरान नाद दीर्घा में भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत में उपयोगी वाद्यों की प्रदर्शनी होती है। व्याख्यान और संवाद सहप्रदर्शन मंडप में विभिन्न कला विषयों पर व्याख्यान और उन व्याख्यानों पर प्रश्नों का सत्र चलता है। प्रणाम दीर्घा में किसी वरिष्ठ नर्तक या नृत्यांगना को समर्पित होता है।
इस साल वरिष्ठ भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्म विभूषण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम, जीवन एवं कला अवदान पर एकाग्र प्रदर्शनी आयोजित की जायेगी। इस तरह एक सप्ताह का यह अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो नृत्य महोत्सव समस्त कलाओं का महोत्सव है। यहां सारी कलाएं मिलकर उत्सव मनाती हैं और इनके दर्शक, श्रोता, सहभागी, हर पल इस सांस्कृतिक वर्षा से सिंचित और समृद्ध होते हैं। इ.रि.सें.