कचरा प्रबंधन भी है संभावनाओं का क्षेत्र
निस्संदेह भारी मात्रा में पैदा हुए कचरे का प्रबंधन चुनौती पूर्ण है लेकिन अब यह अर्थव्यवस्था के लिए लाभ का क्षेत्र भी बन रहा है। फायदे का सौदा बन रहा है वेस्ट का वैज्ञानिक व इको फ्रेंडली तरीकों से निपटान। जिसके तहत रिसाइक्लिंग और रियूज़ से जुड़ी गतिविधियां रोजगार का जरिया बन रही हैं। कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में सरकार, निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों-तीनों में ढेरों अवसर मौजूद हैं।
विक्रम बिजारणियां
घरों, उद्योगों और व्यावसायिक गतिविधियों से लगातार निकलने वाले कचरे का बेहतर ढंग से निपटान बड़ी चुनौती है। हालांकि बदली स्थितियों में वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कुछ नये व सकारात्मक समाधान सामने आये हैं। जैसे रिसाइक्लिंग करना व बेकार समझी जाने वाले सामान से कुछ उपयोगी वस्तुएं बनाना। दरअसल, कुछ कचरे को केवल हटाने की नहीं, समझने और संवारने की ज़रूरत है- क्योंकि अब यह पर्यावरण मुद्दे के अलावा अर्थव्यवस्था, रोज़गार का भी आधार बन गया है। केवल घरों से रोजाना फेंके जाने वाले सब्ज़ियों के छिलके, प्लास्टिक थैलियां, टूटे खिलौने, अख़बार, बोतलें- सब मिलकर भारत में प्रतिदिन 1.5 लाख टन ठोस कचरा उत्पन्न करते हैं। इसका सिर्फ 25-30 प्रतिशत हिस्सा ही वैज्ञानिक रूप से प्रोसेस हो पाता है। लेकिन अब वेस्ट मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की नई पीढ़ी कचरे को कंचन में बदलने का काम कर रही है।
केवल साफ़-सफ़ाई नहीं, व्यवसाय भी
कचरा प्रबंधन में युवाओं के लिए बड़ी संख्या में कैरियर विकल्प मौजूद हैं। आज जरूरत है सॉर्टिंग एक्सपर्ट्स, रिसाइक्लिंग टेक्नीशियनों, कचरा विश्लेषकों, कंपोस्ट विशेषज्ञों और प्लास्टिक प्रबंधन सलाहकारों की। ये प्रोफेशनल नगर पालिकाओं और सरकारों के साथ कार्य करते हैं, वहीं स्टार्टअप्स, सीएसआर प्रोजेक्ट्स और पर्यावरणीय संगठनों से भी जुड़कर बदलाव ला रहे हैं।
कचरा प्रबंधन में मौके
•भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के अनुसार, 2024 तक देश के 70 प्रतिशत से अधिक कचरे का स्रोत पर ही पृथक्करण किया जाने लगा है-यह काम हजारों प्रशिक्षित वेस्ट वर्कर्स द्वारा किया जा रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री हर साल 40,000 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है और इसमें 20 लाख से अधिक रोजगार सृजित हो रहे हैं। सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, ई-वेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट के लिए अलग-अलग संग्रह केंद्रों और प्रोसेसिंग यूनिट्स में विशेषज्ञों की भारी कमी है। ऐसे में यह क्षेत्र युवाओं के लिए सुनहरा अवसर बन चुका है।
रिसाइक्लिंग का भावी अर्थव्यवस्था में योगदान
कचरा अब देश की अर्थव्यवस्था में एक नई धारा का निर्माण कर रहा है। एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में छपी हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री वर्ष 2047 तक 25 लाख करोड़ रुपये यानी 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। इस अद्भुत आर्थिक संभावना का आधार है देश में उभरती हुई सर्कुलर इकॉनमी की अवधारणा, जो‘टेक-मेक-डिस्पोज’ वाले पुराने मॉडल को पीछे छोड़, संसाधनों के दोबारा उपयोग, अपशिष्ट प्रबंधन और टिकाऊ उत्पादन प्रणाली को प्रोत्साहित कर रही है। भारत सरकार इस दिशा में सक्रियता से कदम बढ़ा रही है-ईपीआर यानी एक्सपेंडेड प्रोड्यूसर रेस्पॉन्सिबिलिटी जैसी नीतियों के माध्यम से प्लास्टिक, ई-वेस्ट, बैटरियों और उपयुक्त तेलों के पुनर्प्रयोग को अब कानूनी ढांचे में लाया जा रहा है। यह पर्यावरण रक्षा के साथ ही अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि पैकेजिंग उद्योग ‘सर्कुलर’ मॉडल अपनाता है, तो 6.5 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक मूल्य उत्पन्न हो सकता है और 65 लाख ग्रीन जॉब्स पैदा हो सकते हैं।
कौन कर सकता है शुरुआत?
कचरा प्रबंधन का क्षेत्र शैक्षणिक योग्यता के सभी स्तरों के युवाओं के लिए उपयुक्त है। अगर कोई छात्र 10वीं या 12वीं पास है, तो वह सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, कंपोस्टिंग, या वेस्ट सेग्रिगेशन जैसे शॉर्ट टर्म कोर्स (3 से 6 माह) कर सकता है। इन कोर्सेस की सुविधा स्किल इंडिया, एनएसडीसी, टीआईएसएस, इग्नू, और राज्य स्तरीय प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा दी जाती है। जो ग्रेजुएट या पोस्ट- ग्रेजुएट छात्र हैं, वे एनवायरमेंट मैनेजमेंट, सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट, या अर्बन प्लानिंग जैसे क्षेत्रों में डिप्लोमा या डिग्री ले सकते हैं।
कहां मिलती हैं नौकरियां?
कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग के क्षेत्र की नौकरियों का विस्तार सरकार, निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों-तीनों में है। नगर निगम और नगर पंचायतें कचरा प्रबंधन के लिए अलग-अलग विभाग बनाकर प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति कर रही हैं। सीएसआर प्रोजेक्ट्स में बड़ी कंपनियां फील्ड स्टाफ और पर्यावरण सलाहकार नियुक्त कर रही हैं। वहीं सामाजिक स्टार्टअप्स जैसे रिसाइकल, डेली डंप, ग्रीनवोर्म्स, और इकोराइट्स-युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार की राह पर ले जा रहे हैं।
डिजिटल कचरा प्रबंधन
आज के डिजिटल युग में डिजिटल वेस्ट यानी ई-वेस्ट भी गंभीर चुनौती बन चुका है। मोबाइल, लैपटॉप, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से उत्पन्न कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए प्रशिक्षित ई-वेस्ट प्रोफेशनल्स की भारी आवश्यकता है। कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे स्वयं, कोर्सरा, और अनएकेडमी इस विषय पर फ्री या कम लागत वाले कोर्स उपलब्ध कराते हैं।
सामाजिक बदलाव का माध्यम
कचरा प्रबंधन केवल तकनीकी पेशा ही नहीं, यह समाज को जागरूक करने का आंदोलन भी है। हालांकि कैरियर के रूप में आने वाले वर्षों में कचरा प्रबंधन लाखों युवाओं को रोज़गार देगा।