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कंज्यूमर राइट्स : टूर पैकेज में लापरवाही पर हर्जाने का अधिकार

04:05 AM Mar 04, 2025 IST
कंज्यूमर राइट्स   टूर पैकेज में लापरवाही पर हर्जाने का अधिकार
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बुकिंग के वक्त तय अनुबंध की शर्तों में कई बार ट्रैवल एजेंसियां यात्रा के दौरान कोताही करती हैं। यानी पैकेज में शामिल सेवाओं में कमी करती हैं। यहां तक कि सुरक्षित सफर की व्यवस्था भी नहीं होती। ऐसे में कंपनी की लापरवाही और सेवाओं में कमी के खिलाफ उपभोक्ता न्याय का दरवाजा खटखटा सकता है।

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श्रीगोपाल नारसन
दिल्ली सरकार में एक पूर्व उच्च स्तरीय अधिकारी के परिवार के कई सदस्यों की श्रीलंका में सड़क हादसे में मौत के मामले में उपभोक्ता आयोग ने ट्रैवल एजेंसी पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की अध्यक्ष जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने अपने आदेश में ट्रैवल एजेंसी को लापरवाही और सेवाओं में कमी के लिए दोषी पाया व जुर्माना लगाते हुए निर्देश दिया कि पीड़ितों को यह मुआवजा निर्णय की तारीख से एक महीने के अंदर दिया जाए। अगर आरोपी मुआवजा देने में विफल रहता है, तो उसे 23 दिसंबर 2019 यानी दुर्घटना की तारीख से भुगतान करने की अवधि तक नौ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
राज्य उपभोक्ता आयोग में की थी अपील
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 16 अगस्त, 2023 को सुनवाई कर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के निर्णय को पलटते हुए यह फैसला दिया। जिला उपभोक्ता आयोग ने दोनों आरोपियों यानी टूर व ट्रैवल बिजनेस से जुड़ी दोनों कंपनियों पर संयुक्त रूप से एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें दोनों को 50-50 लाख रुपये भुगतान करना था, भुगतान करने में विफल होने पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का अतिरिक्त भुगतान करना था। लेकिन, जिला आयोग के निर्णय से संतुष्ट न होने पर पीड़ितों ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की, जिस पर कोर्ट ने अपना उक्त निर्णय सुनाया है। मामले में सेवाओं में लापरवाही और कमी, अनुचित व्यापार व्यवहार, भ्रामक विज्ञापन के लिए आरोपी एक और दो से आर्थिक क्षति के रूप में 8.99 करोड़ रुपये और कानूनी कार्यवाही लागत एक लाख रुपये की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में आरोपी दो कंपनियां थीं।
यह था मामला
वादी ने श्रीलंका में अपने परिवार के साथ यात्रा करने के लिए एक कंपनी के माध्यम से 36 घंटे का टूर पैकेज बुक कराया था, इस दौरान ट्रैवल एजेंसी को कोलंबो में विभिन्न जगहों का भ्रमण भी कराना था। वादी ने यह फैमिली ट्रिप अपनी पत्नी, बेटे, बेटी और अपने ससुर के साथ जाने के लिए बुक किया था। इसके लिए उन्होंने 3 लाख 56 हजार रुपए का भुगतान ट्रैवल एजेंसी को किया था, साथ ही करीब 10 हजार रु. इंश्योरेंस के भी भुगतान किए। एजेंसी को फ्लाइट टिकट बुक करने , वीजा लगवाने , ठहरने और साइट सीइंग की सारी व्यवस्था करनी थी। 22 दिसंबर, 2019 को ये पांचों लोग फ्लाइट से कोलंबो पहुंचे। अगले दिन ट्रैवल एजेंसी की जिस गाड़ी में पीड़ित परिवार घूम रहा था उसमें एक ट्रक ने टक्कर मार दी। दुर्घटना में शिकायतकर्ता की पत्नी, पुत्र और ससुर की मौके पर ही मौत हो गई, खुद वादी और उनकी बेटी को गंभीर चोटें आई। श्रीलंका में दर्ज पुलिस केस में जानकारी सामने आई कि ट्रैवल एजेंसी की गाड़ी नियमानुसार चलाने के लिए योग्य नहीं थी। इसलिए वादी ने अपने परिजनों को एजेंसी द्वारा दी गई सेवा में कमी के कारण खोने का आरोप लगाते हुए पहले जिला उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज कराया, जहां पर दोनों आरोपियों पर 50-50 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया। इससे पीड़ित पक्ष सहमत नहीं हुआ और उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की, जिसने पहला फैसला पलटते हुए एक आरोपी पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया।
हरिद्वार की एजेंसी पर भी जुर्माना
एक अन्य मामले में जिला उपभोक्ता आयोग हरिद्वार ने ट्रैवल एजेंसी को उपभोक्ता सेवा में कमी करने का दोषी पाते हुए शिकायतकर्ता को करीब 7 हजार रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता ने ट्रैवल एजेंसी से 25 मार्च, 2019 को एक अप्रैल से 4 अप्रैल, 2019 तक हरिद्वार से महावीर मंदिर व वहां से वापस हरिद्वार तक के लिए 55 हजार रुपये में बस बुक कराई थी, 10 हजार रुपये अग्रिम और 35 हजार रुपये यात्रा शुरू होने पर दिए। जबकि शेष रुपये हरिद्वार आने पर देना तय हुआ। लेकिन यात्रा के दौरान चालक ने एसी चलाने के लिए चार हजार रुपये अलग से लिए। वापसी में बस पेट्रोल पंप पर खड़ी कर बकाया रुपये देने की मांग की। शिकायतकर्ता ने उसे बताया कि रुपये हरिद्वार पहुंचने पर देने की बात तय हुई थी। उपभोक्ता ने आरोप लगाया कि ट्रैवल एजेंसी के व्यवहार से उसे मानसिक परेशानी हुई व उपभोक्ता आयोग की शरण ली। जहां से पीड़ित को न्याय मिल पाया। स्पष्ट है कि टूर पैकेज में निर्धारित सेवाओं में कमी पर उपभोक्ता न्याय का दरवाजा खटखटा सकता है।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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