ऑफिसों में बेहतर कार्यसंस्कृति विकसित कर संवारें अपना भविष्य
इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी क्षेत्र के पेशेवर किसी संगठन या कार्यस्थल में कर्मचारियों के व्यवहार, वहां की संस्कृति और नीतियों को समझने व बेहतर बनाने में योगदान देते हैं। इसके लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है। ये परामर्श, मानव संसाधन मदद व प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं। इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी संबंधी कोर्स करने के बाद छात्र मानव व्यवहार को समझने के लिए सक्षम हो जाते हैं। यह कैरियर वेतन के मामले में आकर्षक है ही, वहीं तरक्की की भी खूब संभावनाएं हैं।
अशोक जोशी
किसी भी संस्था या संगठन के वातावरण को सबके लिए अनुकूल बनाने के लिए और कर्मचारियों व संगठन की बेहतरी के लिए इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी की प्रकृति का अध्ययन करना अनिवार्य होता है। इससे न केवल अच्छे कर्मचारियों के चयन में आसानी होती है बल्कि योग्य और संस्थान के लिए उपयोगी कर्मचारियों को संस्थान में बनाए रखने में भी मदद मिलती है तथा संगठन में कार्य के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने में भी यह बहुत उपयोगी होती है। औद्योगिक मनोविज्ञान में कैरियर आकर्षक और फायदेमंद है। यदि आप लोगों की मदद करना और कार्यस्थल को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो यह एक शानदार विकल्प हो सकता है।
इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी क्या है?
किसी भी संस्था की सफलता को बिना इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी के नहीं आंका जाना चाहिए, क्योंकि इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी किसी भी संस्था या संगठन से जुड़े लोगों के व्यवहार और उनके दृष्टिकोण का अध्ययन करवाती है। जिसके बाद इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट बेहतर नीति बनाने का काम करता है, जिससे संस्था या संगठन में बेहतर वातावरण बनता है। किसी भी संस्था या संगठन के वातावरण को अनुकूलित करने व सबके लिए स्वस्थ माहौल बनाने के लिए इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी कोर्स किया जाता है। ये पेशेवर औद्योगिक-संगठनात्मक मनोवैज्ञानिक कार्यस्थल संस्कृति, नीतियों और परिणामों को बेहतर बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग करते हैं। वे परामर्श, मानव संसाधन सहायता, प्रशिक्षण और विकास प्रदान कर सकते हैं।
अवसरों की भरमार
भारत में मनोविज्ञान के विभिन्न रूपों की आवश्यकता बढ़ती जागरूकता, कॉर्पोरेट मांग, शैक्षिक पुनर्गठन और सूचना प्रौद्योगिकी के कारण बढ़ रही है। चूंकि भारत में मनोविज्ञान पाठ्यक्रम विभिन्न विशेषज्ञता प्रदान करते हैं, इसलिए अधिक पेशेवर, साथ ही छात्र, इस क्षेत्र में काम करना पसंद कर रहे हैं। इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी करने के बाद आप कर्मचारियों के व्यवहार और दृष्टिकोण को समझने के लिए सक्षम हो जाते हैं और इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। इससे आप सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में भी रोजगार पा सकते हैं। इससे आपके लिए ह्यूमन रिसोर्स ऑर्गेनाइज़ेशनल डेवलपमेन्ट मैनेजर, बिहेवियर एनालिस्ट, टैलेंट मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, रिसर्च एनालिस्ट,युनिवर्सिटी प्रोफेसर,कंसल्टैंट ,टीम डेवलपमेन्ट मैनेजर,ह्यूमन रिसोर्स प्रैक्टिस मैनेजर,ऑर्गेनाइजेशनल डेवलपमेन्ट साइक्लोजिस्ट,कंज्यूमर साइक्लोजिस्ट,पर्सनल एनालिस्ट,इंस्ट्रक्शनल डिज़ाइनर क्षेत्रों में भी कैरियर की राह खुल जाती है। आप सरकारी और गैरसरकारी इंडस्ट्री, कार्यालय और स्कूलों में भी रोजगार पाकर 15 से 30 लाख रुपये प्रतिवर्ष की आय अर्जित कर सकते हैं।
जरूरी योग्यताएं
इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी के लिए आपने मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास की होनी चाहिए। उसके बाद साइकोलॉजी या आर्गेनाइजेशनल साइकोलॉजी में प्रमुख रूप से बैचलर्स की डिग्री करने की आवश्यकता है। बैचलर्स की पढ़ाई पूरी करने पर आप बिज़नेस मैनेजमेंट, ह्यूमन रिसोर्स और मार्केटिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप या शुरुआती स्तर की भूमिकाओं के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। इसके बाद जो छात्र प्रतिष्ठित निजी और सरकारी संगठनों में इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी की प्रैक्टिस करना चाहते हैं, उनके पास ऑर्गेनाइजेशनल/इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी में विशेषज्ञता के साथ मास्टर डिग्री होना आवश्यक है। आप इसके साथ ही मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) या मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) की डिग्री का विकल्प भी चुन सकते हैं, जिसमें आपको एक थीसिस को पूरा करने की आवश्यकता होगी। इसके बाद आप या तो कैरियर की संभावनाओं का पता लगा सकते हैं व विकल्प चुन सकते हैं।
पीएचडी कार्यक्रमों को चुनकर रिसर्च और डेवलपमेन्ट डोमेन या फिर इसके अलावा, एमबीए करना, यह एक पूरक डिग्री के रूप में कारगर साबित होगा। जिससे छात्रों को अर्थशास्त्र और मैनेजमेंट पहलुओं से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है। यदि आप रिसर्च या शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो आपको डॉक्टरेट करनी होगी। जिसमें लगभग 4-5 वर्ष लगते ही हैं। यदि आप औद्योगिक साइक्लोजी की प्रैक्टिस करना चाहते हैं, तो इंटर्नशिप के रूप में अनुभव के साथ पीएचडी या डॉक्टरेट की डिग्री के साथ स्नातक होने पर आपको लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
अतिरिक्त योग्यताएं
उपरोक्त शैक्षिक योग्यता के अलावा इस क्षेत्र में कैरियर बनाने में कम्युनिकेशन,प्रॉब्लम सॉल्विंग,रिसर्च,एंपैथी,पेशेंस, एथिक्स,ऑब्जर्वेशन, इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन, क्रिटिकल थिंकिंग ,एनालिटिकल स्किल,टाइम मैनेजमेंट,सोशल स्किल्स,इमोशनल इंटेलिजेंस,सेल्फ अवेयरनेस, फ्रेंडली इंड्रस्ट्रियल बिहेवियर जैसी अतिरिक्त योग्यता होना आदि फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
आवेदन प्रक्रिया
सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें व फॉर्म भरें जिसमें अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें। अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म जमा करें। इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी के लिए मुख्यतः एमयू एण्ड ओईटी, डीयूईटी, बीएचयू ,पीईटी, सीयूसीईटी , जेयूईटी तथा जामिया प्रवेश परीक्षा प्रमुख हैं। प्रवेश परीक्षा के अंकों के आधार पर चयन कर प्रवेश दिया जाता है।
प्रमुख संस्थान
जैन यूनिवर्सिटी, बैंगलोर,भरथियार यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर,जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ,महात्मा गांधी विद्या मंदिर इंस्टिट्यूट, एमएस यूनिवर्सिटी बड़ौदा, फर्गूसन कॉलेज पुणे, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी, रीवा।