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एक पर्व का मर्म

04:00 AM Mar 03, 2025 IST
एक पर्व का मर्म
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अरुण साथी

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मिथिला के क्षेत्र में सड़कों पर सामा चकेवा की मिट्टी की मूर्तियों को बिकता देख रुक गया। हमारे मगध में सामा चकेवा पर्व का चलन नहीं है। या कहीं होगा, तो नहीं पता। हम लोग शारदा सिन्हा के गीत, साम चकेवा खेलव हे... चुगला करे चुगली... बिलैया करे म्याऊं... से इसे सुना। रुक कर जानकारी ली तो सामा चकेवा बहन के प्रति भाई के अगाध प्रेम का त्योहार है। हालांकि, कई जगह अधकचरी जानकारी भी इसी आभासी दुनिया में सामा चकेवा के बारे में है। खैर, आम तौर पर यही है। पर यह इतना ही नहीं है। यह चुगला के चुगली (निंदा) के दुष्परिणाम और इसकी चपेट में भगवान कृष्ण के भी आ जाने और अपनी पुत्री को पंछी बनने का शाप दे देने की पौराणिक कथा है। स्कंद पुराण में इसका जिक्र है।
कथानुसार, सामा बहुत सुशील और दयालु थी। इसी से वह एक ऋषि की सेवा करने उसके आश्रम जाती थी। इसी बीच एक निंदा करने वाले चुगला ने राजा कृष्ण को भरी सभा में क्षमा-याचना के साथ सामा को ऋषि आश्रम में जाने को लेकर चरित्रहीन बता दिया। इस झूठे आरोप में वे श्रीकृष्ण भी आ गए, जो प्रेम रूप में ही पूज्य हैं। उन्होंने बगैर सत्य का पता लगाए अपनी पुत्री को पंछी बनने का शाप दे दिया। सामा पंछी बन वृंदावन में विचरने लगी। कहीं-कहीं यह भी उल्लेख है कि सामा के पति ने उसका साथ दिया। वह भी पंछी बन, उसके साथ हो लिया।
खैर, इस बीच सामा के भाई चकेवा को जब यह पता चला तो उसने बहन को शापमुक्त कराने का संकल्प लिया। कठोर तपस्या की। सामा को शापमुक्त कराया। मिथिला में यही सामा चकेवा का पर्व है। इसमें बहन उपवास करती है। गीत गाती है। आनंद मनाती है। कार्तिक पूर्णिमा को सामा चकेवा की प्रतिमा का विसर्जन होता है। यह कठोर कथा है। भगवान कृष्ण ने भी निंदा करने वालों से प्रभावित होकर या समाज से डरकर अपनी पुत्री को शापित कर दिया। समाज में सतयुग में श्रीराम, द्वापर में श्रीकृष्ण से लेकर कलियुग तक निंदा और उसका प्रभाव समान है। कई युग बीते, पर निंदा और आलोचना का कुप्रभाव नहीं बदला। युग-युगांतर से, यही हुआ, हो रहा। भरी सभा में, किसी ने सीता को तो किसी ने सामा को चरित्रहीन कह दिया। सीता ने अग्नि परीक्षा दी, सामा शापित हो गई। आज भी कोई निकृष्ट जब किसी के चरित्र पर सवाल उठाता है तो देवता कहलाने के लिए हम सामा को शापित कर देते हैं। आखिर देवता कहलाना न कल आसान था, न आज आसान है।
साभार : चौथा खंभा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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