एआई में हासिल महारत बनाएगी विकसित भारत
विज्ञान और नवाचार का मानवता के विकास में बड़ा योगदान है। समय-समय पर वैज्ञानिक उन्नति के चलते सुखद परिणाम सामने आये हैं। उन्हीं में महत्वपूर्ण क्रांति है - आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस। स्वास्थ्य, कृषि व कारोबार से लेकर विज्ञान, तकनीकी व अनुसंधान के अलावा रक्षा प्रौद्योगिकी में विभिन्न क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल देश की आर्थिकी को बेहतरी की ओर ले जायेगा। देश की युवा स्किल्ड मैनपॉवर इसे अनुकूलता देती है।
लोकमित्र गौतम
महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वैंकेटरमण के ‘रमण प्रभाव’ खोज को समर्पित भारतीय विज्ञान दिवस हर साल देश व समाज की वैज्ञानिक दिशा तय करने के लिए एक थीम या केंद्रीय विषय का चुनाव करता है। इस साल की राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम, ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार’ है। इस थीम का मकसद वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना है। यह भी कि देश के मौजूदा विकास और भविष्य की वैज्ञानिक दिशा को तय करने के लिए नवाचारों को महत्व देना है। युवाओं को इनकी तरफ आकर्षित करना है। इसके लिए भला आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अलावा दूसरी मंजिल क्या हो सकती है? जिसके लिए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में आयोजित एआई समिट में कहा, ‘भारत देश और दुनिया की समृद्धि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर फोकस करेगा।’ एक अनुमान के मुताबिक, साल 2035 तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में सकारात्मक योगदान से देश के कुल जीडीपी में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का इजाफा होगा। इससे समझा जा सकता है कि हमारे खुद के लिए और दुनिया के भविष्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कितनी महत्वपूर्ण है।
एआई में निवेश का व्यापक पैमाना
अकारण नहीं है कि अगले पांच सालों में अकेले यूरोपीय यूनियन 43 बिलियन डॉलर का निवेश इस फील्ड में करने जा रहा है, तो चीन, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित सारी दुनिया अगले एक दशक में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में लगभग 50 ट्रिलियन तक का निवेश करेगी। अब के पहले किसी भी दौर में तकनीक में किसी क्षेत्र विशेष पर दुनिया न तो इतना फोकस हुई थी और न ही इतने बड़े पैमाने पर किसी क्षेत्र में निवेश हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर दुनिया कितना बड़ा दांव लगा रही है और ऐसा हो भी क्यों न, जब हर कोई यह मान रहा हो और मानने से ज्यादा देख रहा हो कि एआई हमारी रोजगार की दुनिया में हर क्षेत्र में चमत्कारी ढंग से बदलाव कर रही है।
एआई में भविष्य का बड़ा खिलाड़ी
भारत के लिए इस समूचे परिदृश्य में सबसे बड़े संतोष की बात यह है कि हम भले वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में कोई बड़ी ताकत न दिखते हों, लेकिन दुनियाभर के एआई विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस क्षेत्र का सबसे बड़ा खिलाड़ी हम ही होंगे। एआई द्वारा विकसित पहले विस्तृत, लैंग्वेज मॉडल, चैटजीपीटी के आविष्कारकों में से सैम अल्टमैन, जो कि ओपन एआई के सीईओ हैं, ने नई दिल्ली में सार्वजनिक रूप से कहा है कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के भविष्य का सबसे बड़ा खिलाड़ी है। यह इसलिए अतिश्योक्ति नहीं लगता, क्योंकि आज भी हमारे पास एआई का भले कोई प्रोडक्ट न हो, जिसने हाल के दिनों में दुनियाभर में तहलका मचाया हो, लेकिन एआई के गढ़ सिलिकान वैली में जो सबसे ज्यादा स्किल्ड इंजीनियर एआई की दुनिया को नई दिशा दे रहे हैं, उनमें अधिकतम भारतीय ही हैं।
भारत की स्किल्ड मैनपॉवर
स्किल्ड मैनपॉवर की बदौलत पूरी दुनिया एआई और भारत की तरफ देख रही है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स ने पूरी दुनिया का चेहरा बदल दिया है। आज के सारे नवाचार इसी तकनीकी में आ सिमटे हैं। भारत इस वजह से भी इस क्षेत्र का आने वाले सालों में बड़ा खिलाड़ी होगा। क्योंकि हमने पहले से ही एआई का व्यापक उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्रों में शुरू कर दिया है। हालांकि इस सबके कारण समाज में यह व्यापक धारणा भी बन चुकी है कि एआई बड़े पैमाने पर भारतीयों को बेरोजगार कर रही है। लेकिन लगता है इस धारणा का खंडन करने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस में दिये गये अपने एक कीनोट एड्रेस में कहा कि कोई भी तकनीक नौकरियां नहीं छीनती, शायद उनका इशारा उन लोगों को जवाब देना था, जो एआई के विरोध में आंदोलन छेड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था में होगा बड़ा योगदान
90 के दशक में देश में जैसे रोजमर्रा की जिंदगी में कंप्यूटर को पेश किया गया था, तब भी कंप्यूटर की बहुत मुखालफत हई थी, लेकिन आज कोई छोटे से छोटा ऑफिस या प्रोफेशनल बिना कंप्यूटर के कुछ भी कर पाने में असमर्थ है। ठीक यही स्थिति आने वाले दिनों में एआई की होने जा रही है। वास्तव में एआई बहुत तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने जा रही है। नेस्कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2035 तक एआई भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 500 बिलियन डॉलर का इजाफा कर सकती है। आज उत्पादन यानी मैन्यूफैक्चरिंग, ई-कॉमर्स और सेवा क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की कोर भूमिका है। भारतीय शिक्षा संस्थानों जैसे आईआईटीज और दूसरे प्रमुख विश्वविद्यालय इस समय एआई को लेकर बहुत तेज रफ्तार से रिसर्च करने में जुटे हुए हैं। भारत सरकार ने इंडिया एआई मिशन के तहत एआई अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की रणनीति बनायी है। यूं तो सभी क्षेत्रों में एआई का इस्तेमाल तेज रफ्तार से बढ़ रहा है, मगर जिस तरह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में मसलन डिजिटल हेल्थ मिशन में एआई आधारित डायग्नोसिस और टेली-मेडिसिन तूफानी रफ्तार से बढ़े हैं, वैसा एआई का इस्तेमाल शायद ही किसी दूसरे क्षेत्र में हुआ हो।
हैल्थ व कृषि क्षेत्र में तकनीकी
एक तरफ जहां आने वाले दिनों में सेवा क्षेत्र पूरी तरह से एआई तकनीक पर निर्भर रहेगा, ठीक उसी तरह हेल्थ केयर सेक्टर में भी एआई पावर्ड रोबोटिक्स, सर्जरी और चिकित्सा इमेजिंग का उपयोग कैंसर और टीबी जैसी असाध्य बीमारियों की पहचान और उन्हें खत्म करने में जैसी भूमिका निभायेगा, वैसी दूसरे किसी क्षेत्र में देखना मुश्किल होगा। कृषि क्षेत्र में भी एआई का बहुत तेजी से उपयोग बढ़ रहा है। ड्रोन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सेंसर के माध्यम से फसलों की लगातार निगरानी और उनकी बेहतरी का विश्लेषण जारी है। एआई तकनीक में समृद्ध होने के साथ साथ किसानों को मौसम का सटीक पूर्वानुमान मिल रहा है। मिट्टी में अनुकूल बीजों और फसलों की पहचान चिन्हित हो रही है। शायद इसीलिए नीति आयोग का कृषि एआई मॉडल पर सबसे ज्यादा भरोसा है।
रक्षा और अनुसंधान क्षेत्र
रक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कमाल की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) और सेना मिलकर एआई आधारित स्मार्ट हथियार, निगरानी प्रणाली और साइबर सुरक्षा तंत्र विकसित कर रहे हैं। भारतीय सेना ड्रोन सर्विलांस और एआई आधारित युद्ध रणनीतियों को तेजी से विकसित करने में लगा हुआ है। भारत की स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, डिजिटल इंडिया मिशन, स्टार्टअप्स इको सिस्टम जैसे महत्वाकांक्षी क्षेत्र सिर्फ इंटरनेट के बेहतर इस्तेमाल और एआई के उपयोग के चलते ही संभव है।
भारत को अगर दुनिया के बहुत से देश भविष्य में एआई का अगुवा मान रहे हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का न केवल उपयोग क्षेत्र व्यापक है बल्कि इसके लिए हमारे यहां का वातावरण भी अनुकूल है। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में सरकार द्वारा रोजमर्रा में ज्यादातर लेन-देन यूपीआई के चलते एआई द्वारा ही सम्पन्न किये जा रहे हैं, उससे साफ है कि भारत के पास एआई क्षेत्र में उड़ान भरने के लिए सारे जरूरी साज़ो सामान हैं। ऐसे में यह स्वाभाविक भी है कि हमारे व्यापक विज्ञान क्षेत्र की मान्यता भारतीय विज्ञान के लक्ष्य एआई मिशन पर केंद्रित है। वास्तव में यही भारतीय विज्ञान की नई मंजिल है-आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस। इ.रि.सें.