एआई की दुनिया में तहलका मचाने वाले वेनफेंग
लियांग वेनफेंग ने अपनी मेधा और तकनीकी कौशल से डीपसीक एआई मॉडल बना कर दुनिया की सबसे बड़ी एआई कंपनियों को चुनौती दी। उनका यह काम अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका बन गया, क्योंकि उन्होंने महंगी सेवाओं को मुफ्त में उपलब्ध कराकर पूरी एआई इंडस्ट्री को हिला दिया।
अरुण नैथानी
सहज विश्वास नहीं होता पर एक गुमनाम-से व्यक्ति ने अपनी मेधा, सीमित संसाधनों व तकनीकी कौशल से दुनिया की सुपर पावर कहे जाने वाले अमेरिका को एक ही दिन में हिलाकर रख दिया। चीनी एप डीपसीक की दस्तक सही मायनों में एआई की दुनिया में एक क्रांति जैसी ही है। दरअसल, डीपसीक आर-1 एक एआई मॉडल है, जो अपनी समस्त एआई सेवाएं मुफ्त उपलब्ध करा रहा है, जिसके लिए अमेरिका की नामी कंपनियां अब तक मोटा पैसा वसूलती रही हैं। निश्चित रूप से डीपसीक को बनाने वाले चीन के लियांग वेनफेंग ने तीसरी दुनिया के तमाम विकासशील देशों को संबल भी दिया है कि तकनीकी कौशल सिर्फ अमेरिका की बपौती मात्र नहीं है। बीते सोमवार को अमेरिका की एआई कंपनियों के शेयर भूचाल जैसी स्थिति में जैसे धराशायी हुए उसने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और आईटी दिग्गजों को हिलाकर रख दिया। पूरी दुनिया को बेतुकी धमकियों और अमेरिका फर्स्ट के बयानों से विचलित करने वाले डोनाल्ड ट्रंप चीन के इस ट्रंप-कार्ड से शिकस्त खा गए। उन्होंने इसे अमेरिका एआई उद्योग के लिये खतरे की घंटी बताया।
अमेरिकी बादशाहत वाली दिग्गज एआई कंपनियों चैटजीपीटी, ओपन एआई और गूगल जेमिनी के नये सस्ते विकल्प के रूप में उभरी डीपसीक का दबदबा इतनी जल्दी अमेरिका व उसके शेयर बाजार को हिला गया कि एआई सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियां सकते में आ गईं। इसकी वजह यह है कि डीपसीक महंगी सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। यही वजह रही कि ये प्ले स्टोर पर एक ही दिन में सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला एप बन गया। कल तक गुमनामी में साधना में जुटा लियांग वेनफेंग आज एआई की दुनिया का बेताज बादशाह है।
दरअसल, लियांग को यह शिखर की सफलता रातो-रात नहीं मिली। इसके पीछे उसके लंबे समय से किए जा रहे अथक प्रयास भी हैं। दरअसल, लियांग वेनफेंग ने बीस माह पहले एक स्टार्टअप शुरू किया था, जिसका नाम डीपसीक था। डीपसीक के संस्थापक और सीओ लियांग वेनफेंग बीते साल सार्वजनिक रूप से कह चुके थे कि अमेरिकी एआई प्लेटफार्म अंतिम सत्य नहीं है, इनके विकल्प भविष्य में सामने आ सकते हैं। जिसे उन्होंने अब हकीकत बना दिया है।
चीन के झानजियांग में एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले लियांग वेनफेंग का जीवन आम चीनी नागरिकों जैसा ही था। उनके पिता एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक रहे। बचपन से लियांग वेनफेंग एक मेधावी छात्र रहे हैं। यद्यपि उनकी प्रारंभिक पढ़ाई सामान्य स्कूलों में हुई लेकिन उनमें कुछ विशिष्ट गुण उनके शिक्षकों ने देखे। वे शुरुआत से ही जटिल गुत्थियों को सुलझाने में रुचि दिखाते थे। कालांतर में उन्होंने इंजीनियरिंग की राह पकड़ी तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता उनका प्रिय विषय बन गया। बताते हैं कि वर्ष 2019 में भी उन्होंने हाई-फ्लायर एआई प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। यह अरबों युआन की संपत्ति का प्रबंधन करने वाला उपक्रम था। लेकिन वे चीन में सुर्खियों में तब आए जब वर्ष 2023 में उन्होंने एआई उपक्रम डीपसीक की स्थापना की। आज वे चीन ही नहीं, पूरी दुनिया के हीरो हैं। आज चालीस वर्षीय लियांग वेनफेंग की कुल संपत्ति 28 हजार करोड़ बतायी जाती है। जाहिर उनके एआई प्लेटफॉर्म की अप्रत्याशित कामयाबी के बाद आने वाले दिनों में उनकी संपत्ति कुलांचें भरने लगे तो कोई अतिश्ायोक्ति न होगी।
दरअसल, अमेरिकी टेक कंपनियों में खलबली मचाने वाली लियांग वेनफेंग की एआई संचालित चैटबॉट डीपसीक की लागत अमेरिकी कंपनियों से दस गुना कम बतायी जा रही है। कंपनी द्वारा मुफ्त में सेवा उपलब्ध कराने से मिली अपार ख्याति ने ही अमेरिकी वॉल स्ट्रीट में भूचाल ला दिया। जिस चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया से लियांग वेनफेंग ने चिप खरीदकर इस उपक्रम की शुरुआत की थी, उसकी मार्केट वैल्यू डीपसीक के जलवे के चलते एक ही दिन में छह सौ अरब डॉलर घट गई। यही वजह है कि दुनिया को अपने धमाल से हिलाने वाले डोनाल्ड ट्रंप को भी कहना पड़ा कि अमेरिकी उद्यमियों के लिये यह सतर्क हो जाने वाला वक्त है। हालांकि, सिलकॉन वैली के कुछ दिग्गज इस उपलब्धि को दुनिया के लिये प्रभावी बता रहे हैं। जो अमेरिकी एआई कंपनियों के अरबों डॉलर के खर्च के मुकाबले कुछ लाख डॉलर में तैयार हुई है। जिसके लिये लियांग वेनफेंग ने निवेशकों से धन जुटाकर इस अभियान की शुरुआत की।
वैसे सूचना और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर लियांग वेनफेंग की इस कामयाबी की राह इतनी आसान भी नहीं थी। शुरुआती दौर में उन्होंने अमेरिकी कंपनी एनवीडिया से ए100 चिप्स खरीदे थे। अमेरिकी अधिकारियों को चीन के मंसूबों का खतरा तो था ही, यही वजह है कि उन्होंने बाद में इन चिप्स के चीन को निर्यात पर रोक लगा दी। जानकार बताते हैं कि अमेरिकी प्रतिबंध के बाद उन्होंने करीब पचास हजार चिप्स जुटाकर डीपसीक एप को तैयार किया। साथ ही अन्य देशों से सस्ती चिप्स जुटाकर इसके साथ इस्तेमाल करके दुनिया में धमाल मचा दिया। वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि लियांग वेनफेंग की इस अप्रत्याशित कामयाबी में चीन सरकार की महत्वाकांक्षी सामरिक नीतियों की भूमिका भी हो सकती है, जिसके जरिये अमेरिका को झटका देकर विश्व में सामरिक लक्ष्य हासिल किए जा सकें। बहरहाल, लियांग वेनफेंग की कामयाबी भारत जैसे देशों के लिये प्रेरणा व चुनौती भी है कि दृढ़ संकल्पों से अमेरिका जैसी महाशक्ति को भी पीछे छोड़ा जा सकता है।