For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

ईमानदारी से राष्ट्रभक्ति

04:00 AM Mar 27, 2025 IST
ईमानदारी से राष्ट्रभक्ति
Advertisement

एक बार भगतसिंह के पास एक सेठ आये। सेठ को भगतसिंह की ऊर्जा और उनके भाषणों से अनोखा उत्साह मिला था। सेठ ने चांदी के सिक्कों की एक भारी थैली भगतसिंह को सौंपनी चाही। मगर भगतसिंह के हाथ में कुछ कागज थे। उनमें अगले हफ्ते की बगावती योजना का विस्तार था। भगतसिंह ने एक कार्यकर्ता से कहा, ‘सेठजी का नाम और पता लिखकर यह थैली दान में शामिल कर लो।’ यह सुनकर सेठ को अजीब-सा लगा। ‘मैंने यह चांदी कितने समय में अर्जित की है। आप शायद जानते नहीं। और आप इसे हाथ भी नहीं लगा रहे?’ ‘जी बात यह है कि अगर मेरे हाथ सोने और चांदी से ही भरे रहेंगे तो मेरा मन जनसेवा, देशसेवा तथा इन दमनकारी अंग्रेजों के उन्मूलन में नहीं लग सकेगा।’ ऐसा कहकर भगतसिंह ने उनको सत्य से अवगत कराया। यह सुनकर, वह सेठ भारत माता के सपूत के इतने निर्मल दृष्टिकोण तथा ईमानदारी पर गद्गद हो गया।

Advertisement

प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

Advertisement
Advertisement
Advertisement