आशावाद की बड़ी सोच
अमेरिका के जॉर्ज कार्वर एक उच्चकोटि के महाविद्वान वैज्ञानिक थे। अधिक धन के स्वामी होने पर भी उनमें कभी अहंकार नहीं आया। उनकी पत्नी ने उन्हें सुझाव दिया कि आप यह पैसा बैंक में जमा कर दीजिए। वहां पैसा सुरक्षित रहेगा और यहां हम निश्चिंत रहेंगे। उन्होंने एक मित्र से सलाह लेकर बैंक में अपनी सारी कमाई जमा करवा दी। दुर्भाग्य से जिस बैंक में कार्वर की जमा पूंजी थी, वह बैंक फेल हो गया और उसे दिवालिया घोषित कर दिया गया। कार्वर का भी सारा पैसा डूब गया। कई संबंधी और मित्र अफसोस जताने आए और अपनी ओर से मदद की पेशकश की। इस पर कार्वर बोले, ‘वह पैसा तो वैसे भी मेरे काम नहीं आ रहा था। जैसा मेरे यहां रखा था, वैसे ही वहां रखा था। शायद वह वहां किसी के काम आ गया और उसका सदुपयोग हो गया। आप लोग दुविधा में न रहें, मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा है। कार्वर के परिचितों ने उनकी आशावादिता पर दांतों तले उंगली दबा ली।
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी