For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

आवाज को जादुई बनाने का पेशा

04:05 AM Mar 27, 2025 IST
आवाज को जादुई बनाने का पेशा
Advertisement

Advertisement

संगीत की दुनिया में साउंड इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण और ग्लैमरस क्षेत्र है। आम आवाज को साउंड इफेक्ट की बदौलत जादुई बनाते हैं साउंड इंजीनियर्स। स्टूडियो, मल्टीमीडिया डिजाइन, तथा एडवर्टाइजिंग आदि क्षेत्र में साउंड इंजीनियर, ऑडियो इंजी. ,स्टूडियो कंट्रोलर, मल्टीमीडिया डेवलपर तथा स्टूडियो टेक्निशियन बन सकते हैं।

कीर्तिशेखर
यूं तो आवाज की दुनिया में विशेषकर म्यूजिक इंडस्ट्री में हमेशा से ठोस कैरियर मौजूद रहा है, लेकिन आज यह पहले से कहीं ज्यादा दमदार और सम्मानजनक हो चुका है, क्योंकि अब यह सिर्फ म्यूजिक तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें बड़े पैमाने पर साउंड इंजीनियरिंग की भी हिस्सेदारी हो चुकी है। यह सच है कि आवाज के चाहने वाले हमेशा रहे हैं। लेकिन आवाज की इंजीनियरों की इतनी कद्र अब के पहले कभी नहीं रही। शायद इसलिए क्योंकि यह सोशल मीडिया का दौर है। किसी भी किस्म का मल्टी मीडिया प्रोग्राम बिना साउंड इफेक्ट के पूरा नहीं होता। साउंड इंजीनियरिंग का काम आम आवाज को इसी इफेक्ट की बदौलत जादुई बनाना होता है।
रिकॉर्डिंग, मिक्सिंग तथा रिप्रोडक्शन
साउंड इंजीनियरिंग, ध्वनि अभियांत्रिकी की एक शाखा है जिसका म्यूजिक, मूवी और थियेटर की रिकॉर्डिंग, मिक्सिंग तथा रिप्रोडक्शन आदि से गहरा नाता है। यूं तो सिने इंडस्ट्री में हमेशा से साउंड इंजीनियर रहे हैं। लेकिन आज का म्यूजिक पहले से भिन्न है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स है, कंप्यूटर है और बड़े पैमाने पर साउंड इंजीनियरिंग है। यही वजह है कि आज फिल्म इंडस्ट्री में साउंड इंजीनियरों की अच्छी-खासी मांग है। ऐसे में कैरियर के रूप में साउंड इंजीनियरिंग तेजी से एक सुरक्षित और ग्लैमरस क्षेत्र बनता जा रहा है। यदि साउंड इंजीनियरिंग का कोर्स कर लिया जाए तो शानदार कैरियर की चिंता से मुक्त हुआ जा सकता है।
इंजीनियरिंग की बारीकी, कलाकार की शार्पनेस
हालांकि दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा यह क्षेत्र थोड़ा चुनौतीभरा है; क्योंकि इसमें इंजीनियरिंग वाली बारीकी के साथ कलाकार वाली शार्पनेस भी चाहिए। वजह यह है कि अच्छी आवाज की पहचान अकेले मशीनें नहीं कर सकतीं। बहरहाल साउंड इंजीनियरिंग के तहत म्यूजिक, स्पीच और स्टूडियो के साउंड को हाई क्वालिटी का बनाया जाता है। इसी की बदौलत फिल्मों, रेडियो और टेलिविजन कार्यक्रमों को न केवल सहज सम्प्रेषणीय बल्कि प्रभावशाली भी बनाया जाता है।
शैक्षणिक योग्यताएं
अगर आप भी इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो आपको 12वीं फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स से पास होना चाहिए। आप साउंड इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल सकते हैं और बाद में चाहें तो मास्टर डिग्री भी। साउंड इंजीनियरिंग कोर्स के तहत साउंड रिकॉर्डिंग, एडिटिंग व मिक्सिंग की तकनीकी व व्यावहारिक जानकारी दी जाती है। इसके अलावा छात्रों को रिकॉर्डिग टूल जैसे- टेप मशीन, स्पीकर, एम्पलीफायर्स, सिंगल प्रोसेसर तथा माइक्रोफोन आदि का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है। ऑडियो राइटिंग, बेसिक थ्योरी ऑफ साउंड फ्रिक्वेंसीज, साउंड स्पेशल इफेक्ट्स आदि के बारे में भी पढ़ाया जाता है।
कई संस्थानों द्वारा साउंड इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट तथा पीजी डिप्लोमा स्तर के कोर्स कराए जाते हैं। इनकी अवधि 6 माह से 3 वर्ष के बीच है, जो कि संस्थान द्वारा पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम पर निर्भर करता है। इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए किसी विशेष शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।
जॉब के विकल्प
जहां तक ओहदे की बात है तो आप साउंड इंजीनियर, ऑडियो इंजीनियर, स्टूडियो कंट्रोलर उर्फ मैनेजर, मल्टीमीडिया डेवलपर तथा स्टूडियो टेक्निशियन बन सकते हैं। डिग्री हासिल करने के बाद इंजीनियर या टेक्नीशियन के रूप में आपको टीवी चैनल्स, स्टूडियोज, मल्टीमीडिया डिजाइन, तथा एडवर्टाइजिंग आदि के क्षेत्र में आराम से 30,000 से 45,000 रुपये महीने की पहली नौकरी लग सकती है।
इंजीनियरिंग के साथ क्रिएटिविटी का फील्ड
साउंड इंजीनियर के रूप में आपका कार्य दो स्तरों का होता है-प्रोडक्शन लेवल तथा पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर। प्रोडक्शन लेवल पर साउंड इंजीनियर का कार्य मैकेनिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस के द्वारा तरह-तरह की आवाजें बनाना तथा उन्हें रिकॉर्ड करना होता है जबकि पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर उनको एडिट व मिक्स करके एक नई साउंड में तब्दील करना होता है। जैसा कि पहले ही कहा गया है कि इस क्षेत्र में सफल होने के लिए सिर्फ इंजीनियरिंग की समझ ही जरूरी नहीं है बल्कि म्यूजिक व साउंड के प्रति गहरी रुचि भी बहुत आवश्यक है। इसीलिए इस क्षेत्र को हाफ इंजीनियरिंग और हाफ क्रिएटिव फील्ड कहते हैं। नतीजतन आपमें अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स, पेशंस, एकाग्रता तथा कल्पनाशीलता होनी चाहिए।
पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान
आडियोफिल इंस्टीट्यूट ऑफ साउंड इंजीनियरिंग, कोच्चि, केरल, आईआईआई खड़गपुर पश्चिम बंगाल, फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, लॉ कालेज रोड, पुणे, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म एंड फाइन आर्ट्स, कोलकाता, सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता, एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टीवी, नोएडा, उत्तर प्रदेश, एमजीआर गर्वमेंट फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, सीआईटी कैम्पस, चेन्नई, एसएई टेक्नोलॉजी कॉलेज, अंधेरी, मुंबई। -इ.रि.सें.

Advertisement

Advertisement
Advertisement