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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में संभावनाओं का युग

04:05 AM May 29, 2025 IST
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में संभावनाओं का युग
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इक्कीसवीं सदी में तकनीक का सबसे चमकता सितारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। यह सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि करियर, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि सहित हर क्षेत्र में नए अवसरों की नींव रख रहा है। एआई इंसान का विकल्प नहीं, बल्कि उसका सबसे सक्षम और सहायक साथी बनता जा रहा है।

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कीर्तिशेखर
इक्कीसवीं सदी में तकनीकी जिस तेजी से बदल रही है, उसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सबसे बड़ी भूमिका है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो एआई के चमत्कारिक हस्तक्षेप से अछूता हो। आज करिअर ही नहीं, इंसान की जीवनशैली में बदलाव का सबसे बड़ा कारक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बन गया है। लेकिन एआई कोई हौवा नहीं, किसी तरह का कोई खतरा नहीं है बल्कि अगर गहराई से देखें और सोचें तो एआई हमारी जिंदगी को बेहतर करने का एक तरीका है। ऐसे में जो लोग इस भय में जी रहे हैं कि आने वाले दिनों में एआई का हस्तक्षेप उनके हिस्से की नौकरी छीन लेगा, वह एक गलत डर के साये में जी रहे हैं। एआई यह तो तय है कि मानवीय श्रम का एक बड़ा हिस्सा हथिया लेगा, लेकिन भारत जैसे देश में जहां युवा जनसंख्या बहुत बड़ी है और टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से फैल रही है, वहां एआई डर का विषय नहीं होना चाहिए, खास करके करिअर के लिए, जिन लोगों को एआई से अपनी नौकरी का डर लगता है, उन्हें इसकी आधी-अधूरी जानकारी है।
एक बात तो यह तय मान लीजिए कि एआई कुछ भी करे वह इंसान नहीं और वह कम से कम इंसानों की तरह सोच नहीं सकता। हां, कुछ सेक्टर हैं जहां काम आज भी मशीनी अंदाज में हो रहा है, उन कामों को एआई जरूर हथिया लेगा। लेकिन उन कामों को एआई से कराने के लिए इंसानों की जरूरत पड़ेगी। मसलन बैंकिंग सेक्टर में एआई की किसी भी लोन चाहने वाले का आटोमेटिक लोन अप्रूव कर तो सकता है, लेकिन एआई कभी यह नहीं कर सकता कि सामने वाले व्यक्ति को लोन देना खतरनाक है या नहीं। इस बात को कोई इंसान ही तय करेगा; क्योंकि इंसान के पास किसी व्यक्ति के बारे में मौजूद तथ्यों से कहीं अधिक जानने का जरिया होता है। इसलिए लोन अप्रूव कभी भी बैंक एआई के आधार पर नहीं करेंगे। एआई द्वारा अप्रूव किये गये लोन को एक बार ऐसा इंसान जरूर चेक करेगा, जो यह समझ रखता हो कि कोई अपने बारे में तथ्यों के जरिये एआई को झांसा तो नहीं दे रहा।
इसी तरह हेल्थ केयर में भी एआई आधारित रिपोर्ट आ रही हैं। लेकिन उन रिपोर्ट के आधार पर कभी भी डॉक्टर निर्णय नहीं लेता। क्योंकि एआई यह नहीं तय कर सकता कि किसी व्यक्ति के हेल्थ रिपोर्ट के आधार पर उसे कितना स्वस्थ माना जा सकता है। दरअसल, स्वास्थ्य के तयशुदा मानकों के आगे पीछे भी कई ऐसे तथ्य होते हैं, जो गणित की जुबान में सामने नहीं आते बल्कि उसे अनुमान के नजरिये से पढ़ा जाता है। एआई से तीसरा सबसे बड़ा डर मीडिया क्षेत्र को है। लोगों को लगता है कि एआई के आने के बाद मीडिया के सारे काम वो कर लेगा। रिपोर्ट बना देगा, रिपोर्ट का एनालिसिस कर देगा, पुरानी रिपोर्ट के आधार पर नई रिपोर्ट का विश्लेषण कर लेगा, लेकिन सूचनाओं का सच कभी सामने दिख रही रिपोर्टों तक सीमित नहीं होता। सूचनाएं अदृश्य कोनों में छिपी होती हैं और उन्हें सामने कोई पत्रकार ही ला सकता है। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का सटीक विश्लेषण एआई नहीं करेगा, कोई अनुभवी पत्रकार ही पाकिस्तान की पुरानी हरकतों और उसके मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर कर सकेगा।
इसलिए एआई तमाम क्षेत्रों के कामों मंे तेजी तो ला देगा। बैंकिंग सेक्टर का परफोर्मेंस बेहतर हो जायेगा, निर्णय जल्दी लिए जा सकेंगे, यही हाल हेल्थ सेक्टर में भी तुरंत रिपोर्ट पाने के रूप में होगा और मीडिया के क्षेत्रों में भी एआई तमाम काम तेजी से कर लेगा। लेकिन निर्णय या अंतिम रूप से जिसे सच माना जाए यह फैसला एआई नहीं कर सकता, इसके लिए अनुभवी और संवेदनशील इंसानों की जरूरत हमेशा रहेगी, जो किसी सच को उसके न दिखने वाले तथ्यों के आरपार जाकर भी देख सके। इस तरह एआई से नौकरियां नहीं जाएंगी। काम में तेजी आयेगी, परफोर्मेंस बेहतर होगा और इस तरह एआई इंसान का सहायक बनेगा, इंसान का विकल्प नहीं। और हां, एआई के कारण जितनी नौकरियां साधारण तौर पर जाएंगी, उससे कई गुना ज्यादा नौकरियां विकसित होंगी। यह सच है कि कुछ बहुत पारंपरिक नौकरियां एआई के कारण अपना रूप बदल देंगी या वो खत्म हो जाएंगी। लेकिन एआई के कारण जो नौकरियों के नये आयाम विकसित हो रहे हैं, जो नये नये प्रोफेशंस अस्तित्व में आ रहे हैं, वो नौकरियां बढ़ाएंगे, कम नहीं करेंगे।
मसलनÛ एआई ट्रेनर की अब हर क्षेत्र में अनिवार्य जरूरत पड़ेगी, जो लोगों को एआई के इस्तेमाल में कुशल बना सके। इसी तरह डेटा एनालिसिस और डाटा साइंटिस्ट जैसे जो नये प्रोफेशंस सामने आये हैं, उनमें बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होगी, जो मशीन द्वारा चुने गये आंकड़ों को देखकर उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार ढाल सकें।
एआई की मदद से आने वाले दिनों में खेती में बहुत सारे बदलाव होंगे, बहुत सारी तकनीकों का इस्तेमाल होगा और इस सबके लिए पहले से कहीं ज्यादा कुशल और प्रशिक्षित लोगों की जरूरत पड़ेगी और हां, पारंपरिक रूप से गैर पढ़े-लिखे और मशीनी अंदाज में खेती करने वाले लोगों की शायद जरूरत नहीं रह जायेगी। लेकिन खेती को उत्पादक, बेहतर और लाभकारी बनाने वाली जितनी कुशलताएं इसके साथ जुड़ेंगी, वे सब एआई के जरिये ही सामने आएंगी।
यही नहीं, हर क्षेत्र की तकनीकी भाषा को एआई के जरिये तेजी से पढ़ा और विश्लेषण किया जा सकेगा। लेकिन वह इंसान के कितने काम का है, उससे इंसान को वास्तविक रूप से कितना लाभ हो सकता है, इसका फैसला तो अंततः इन विषयों के जानकार ही करेंगे। इस तरह एआई की मदद से कंप्यूटेशन में तेजी आयेगी और निर्णय लेने में विशेषज्ञों को आसानी होगी। लेकिन विशेषज्ञ यानी किसी क्षेत्र के जानकारों की हमेशा जरूरत बनी रहेगी। जहां तक भारत में एआई के जरिये करिअर बनाने के तेजी से उभर रहे क्षेत्रों के बारे में बात की जाए, तो एजुकेशन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां एआई से पर्सनलाइज्ड लर्निंग, टेस्ट एनालिसिस, ट्यूटर सिस्टम विकसित हो रहे हैं। इस तरह एजु-टेक डेवलपर, कंटेंट ट्रेनर और लर्निंग साइंटिस्ट उभरकर सामने आ रहे हैं और ये सारे प्रोफेशन एआई के जरिये विकसित हो रहे हैं।
जिस तरह एआई भारत के हेल्थ केयर सेक्टर में हेल्थ डेटा इंजीनियरों और मेडिकल डेटा विश्लेषकों के नये प्रोफेशंस बाजार में ला रही है, जिनकी काफी अच्छी सैलरी मिल रही है। यही बात कृषि और डिफेंस के क्षेत्र में भी लागू होती है। आज कृषि डेटा साइंटिस्ट, प्री-सेशन सलाहकार जैसे नये प्रोफेशनलों की बड़ी तादाद में मांग है और ये अच्छे सम्मानजनक करिअर बनकर उभरे हैं। इसी तरह डिफेंस के क्षेत्र में साइबर सिक्योरिटी एनालिस्ट और एआई डिफेंस इंजीनियर इतने महत्वपूर्ण हो चुके हैं, इन्हें हमने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच पसरे तनाव और ऑपरेशन सिंदूर में इनके महत्व को जाना है। कंटेंट क्रिएशन और मीडिया में भी एआई कई नये प्रोफेशन सामने लेकर आ रही है, जिसमें क्रिएटिव एआई डिजाइनर, मीडिया ऑटोमेशन स्पेशलिस्ट आदि हैं। इस तरह एआई करिअर लेने की जगह बड़े पैमाने पर करिअर विकसित कर रही है। इ.रि.सें.

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