आफत में चुटकुला सुनाने की शराफत
विनय कुमार पाठक
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का एक अनूठा हास्यबोध सामने आया है। वैसे वे एक मसखरे देश के प्रधानमंत्री होने के नाते मसखरी तो करते ही रहते हैं। लेकिन इस बार इतना बढ़िया चुटकुला उन्होंने सुनाया है जिसे सुनकर पूरी दुनिया पेट पकड़ कर हंस रही है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनके साथ उनका पूरा देश ही भौचक्का रह गया है। बेचारे सोचकर सोये होंगे कि अभी भारत में ड्रिल चल रहा है, इस बीच उनके पोसे आतंकियों के ठिकाने ही तबाह हो गए।
चुटकुला यह है कि, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा है कि देश के सशस्त्र बलों को भारतीय सैन्य हमलों में निर्दोष पाकिस्तानी लोगों की मौत का बदला लेने के लिए ‘अपनी पसंद के समय, स्थान और तरीके से जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।’ ऐसा लग रहा है मानो सिंधु उल्टी दिशा में बह रही है। अब तक तो पाकिस्तान का सशस्त्र बल पाकिस्तान के मंत्रियों-संतरियों को कितना बोलना है, क्या बोलना है का अधिकार देता था। पाकिस्तान के कई प्रधानमंत्रियों को उसकी सेना फांसी के तख्ते पर झुला चुकी है। देश से निर्वासित कर चुकी है। यहां तक कि अपने सेवानिवृत्त सेनाध्यक्षों को भी इस तरह के अनुभव दे चुकी है। वैसे निर्दोष आतंकवादियों की मौत से बहुत आहत होने वाले चुनींदा देशों में पाकिस्तान एक है।
अब इस अधिकार का सशस्त्र बल उपयोग भी खूब कर रहा है। सबसे पहले तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गए आतंकियों को कंधा देकर कब्रिस्तान तक पहुंचा रहा है। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ कब्रिस्तान में लिटा रहा है। मसूद अज़हर को बिल मुहैया करा रहा है जहां वह छिप सके। साथ ही उसके आंसू पोंछने का काम भी कर रहा है। साथ ही बार्डर पर निहत्थे नागरिकों पर हमला कर अपनी औकात बता रहा है।
पाकिस्तान पुराने और असंगत वीडियो दिखाकर बची-खुची इज्जत बचाने की कोशिश कर रहा है। दो चुटकी सिंदूर की कीमत समझने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान भारत में उपस्थित अपने हमदर्द नेताओं के बयान को अपनी जनता को सुनाकर अपने आवाम को गुमराह कर रहा है।
लगता है कि इस सब के अलावा पाकिस्तानी सेना आत्मसमर्पण करने के पुराने रिकॉर्ड को और बेहतर बनाना चाह रही है। लगता है अबकी बार वह आत्मसमर्पण करने वाले पाक सैनिकों की संख्या ‘लाख के पार’ करने के लिए अपनी पसंद का समय, स्थान और तरीके पर विचार कर रहा है।