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आप-दा से विपदा तक की संपदा

04:00 AM Feb 12, 2025 IST
आप दा से विपदा तक की संपदा
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राजशेखर चौबे

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श्रेय और जिम्मेदारी अलग-अलग लोगों के जिम्मे होती है। जो जीत का श्रेय लेता है वह हार की जिम्मेदारी नहीं लेता है। कुछ जीत-हार ऐसी होती है कि मुर्दों में भी जान आ जाती है और वे भी बाइट देने लगते हैं। कई बार जीतने वाले से ज्यादा खुश हारने वाला होता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी इस बात से प्रसन्न है कि तीन सीटों पर उनकी जमानत बच गई है। इन उम्मीदवारों के नागरिक अभिनंदन किए जाने की भी चर्चा है। आम आदमी पार्टी से इस बार आम लोग ही जीते हैं। खास-खास लोग चुनाव हार गए हैं। तीनों राष्ट्रीय दलों के समर्थक दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम पर चर्चा कर रहे हैं :-
पहला : मैं जीतने वाले के पहले लगातार तीसरी बार तीसरे नंबर पर आने वाले राष्ट्रीय दल को बधाई देना चाहता हूं। वे जीतना नहीं केवल हमें हराना चाह रहे थे।
दूसरा : गुजरात, गोवा, उत्तराखंड और हरियाणा चुनाव के समय इस बात की याद नहीं आई।
तीसरा : हम जनता के मुद्दे पर लड़ते हैं पर आप लोग आपस में लड़ते हैं। यह सुखद अनुभव है। वैसे छह महीने पहले तो गलबहियां कर रहे थे।
दोनों ने एक साथ कहा— आपको इस जीत की हार्दिक बधाई। तीसरा : धन्यवाद आप दोनों का और दिल्ली की जनता का। दिल्ली की जनता ने विकास और सुशासन पर अपनी मुहर लगाई है। हमने दिल्ली से आप-दा को विदा कर दिया है ।
दूसरा : आप-दा के बाद विपदा आ गई है।
पहला : आप जीरो की हैट्रिक बनाकर भी खुश हैं। खुश रहना कोई आपसे सीखे!
तीसरा : इस जीत का पूरा श्रेय हमारे सबसे बड़े नेता को है जिनकी गारंटी पर राजधानी की जनता ने भरोसा किया।
पहला : इस जीत का श्रेय उपराज्यपाल, ईडी, सीबीआई, केंद्रीय चुनाव आयोग को दिया जाना चाहिए।
तीसरा : यह तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली बात हो गई।
दूसरा : आप दूसरों की जन कल्याणकारी योजनाओं को रेवड़ी बताते हैं और खुद वही काम करते हैं। आपने इनकी सभी रेवड़ियों को चालू रखने की गारंटी दी है। कुछ में राशि बढ़ा दी गई है।
तीसरा : इनके नेता रिफरेंडम के लिए जनता के पास गए थे। जनता ने उन्हें नकार दिया है। अब उन्हें अपना एनजीओ ही चलाना चाहिए।
पहला : अब हम रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे, आपकी तरह नहीं। हमारे नेता को हराने वाले आपके नेता सत्ता में आने के पहले से ही कैश ट्रांसफर कर रहे थे। उन्होंने क्या-क्या नहीं बांटा?
तीसरा : यह काम उन्होंने नहीं उनके एनजीओ ने किया है। यदि उन्होंने चुनावी आचार-संहिता का उल्लंघन किया है तो आप चुनाव आयोग या कोर्ट चले जाइए। दोनों हंसने लगते हैं, सब कुछ समझ कर तीसरा भी हंसने लगता है।

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