आज के समय में पंजाब की हालत चिंताजनक : स्वर्णजीत
चंडीगढ़, 10 मार्च (ट्रिन्यू)
पंजाब विश्वविद्यालय के पंजाबी अध्ययन स्कूल और पंजाब कला परिषद ने ‘पंजाबी दलित साहित्य : चेतना और चिंतन’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। उद्घाटन सत्र में पंजाबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगराज मुखी ने इस सेमिनार के महत्व पर बात करते हुए कहा कि आज के समय में दलित साहित्य की सार्थकता और भी बढ़ गई है। उन्होंने यह भी बताया कि इस सेमिनार का उद्देश्य पंजाब के विभिन्न मुद्दों पर संवाद स्थापित करना है।
पंजाब कला परिषद के चेयरमैन और कवि स्वर्णजीत सवी ने उद्घाटन भाषण में पंजाब की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम नई उम्मीदें पैदा कर सकते हैं। पंजाबी साहित्य के प्रमुख चिंतक स्वराजबीर ने दलित, अछूत और शूद्र शब्दों के इतिहास पर प्रकाश डाला और अंबेडकर के दृष्टिकोण से पंजाबी दलित साहित्य को गंभीरता से समझने की आवश्यकता जताई।
विशिष्ट चिंतक अमरजीत ग्रेवाल ने युवाओं के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि समाज में बढ़ते शोषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाए। कार्यक्रम का समापन प्रो. उमा सेठी ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया।