आजाद हिंद फौज के सेनानी ने मनाया 100वां जन्मदिन
नयी दिल्ली, 13 मार्च (एजेंसी)
आजाद हिंद फौज के अंतिम जीवित सेनानियों में से एक आर. माधवन पिल्लै ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय समर स्मारक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपना 100वां जन्मदिन मनाया। उन्होंने भारत के युवाओं के लिए एक विशेष संदेश में कहा कि वे नेताजी द्वारा प्रतिपादित एकता, विश्वास और बलिदान की विचारधारा को अपनाएं।
पिल्लै जब व्हीलचेयर पर राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीद नायकों और इंडिया गेट पर स्थित सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो उस समय भारतीय सेना के कई अधिकारी भी मौजूद थे। सेना के एक अधिकारी ने छड़ी थामे पिल्लै को ‘अमर जवान ज्योति' तक जाने में मदद की, जहां उन्होंने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। आयु संबंधी दुर्बलता के बावजूद उन्होंने ऊपर देखा और चेहरे पर गर्व के भाव के साथ सलामी दी। चश्मा पहने पिल्लै ने बाद में आगंतुक पुस्तिका में भी अपने विचार लिखे। बलिदान और देशभक्ति की भारत की चिरस्थायी विरासत को दिखाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन सेना द्वारा किया गया। आजाद हिंद फौज के इस सेनानी ने अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश करते हुए राष्ट्रीय युद्ध समर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपना जन्मदिन मनाया। इसके बाद उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 2021 में, नेताजी की 125वीं जयंती पर उन्हें आजाद हिंद फौज और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए रजत पदक से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 जनवरी 2024 को लालकिले पर पराक्रम दिवस समारोह में उन्हें सम्मानित किया था। भारत की आजादी की लड़ाई के लिए आजाद हिंद फौज का गठन सर्वप्रथम 1942 में मोहन सिंह द्वारा किया गया था और बाद में 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी द्वारा इसका पुनर्गठन किया गया था।
सुभाष चंद्र बोस की तीन बातों को मानें
पिल्लै ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा, ‘युवाओं को देश के लिए काम करना चाहिए और राष्ट्र को आगे ले जाना चाहिए। नेताजी ने हमें एकता, विश्वास और बलिदान सिखाया, इन तीनों (मूल्यों) का पालन करें, फिर आप एक मजबूत राष्ट्र बना सकते हैं। एक साथ रहकर काम करें... नंबर एक, अमेरिका से भी आगे, हमें (भारत को) (विकास में) होना चाहिए।'
म्यांमार में हुआ था जन्म
एक अधिकारी ने कहा, ‘लेफ्टिनेंट आर. माधवन पिल्लै का जन्म 13 मार्च, 1926 को स्वरिन टाउनशिप, बर्मा (अब म्यांमार) में हुआ था। वह आजाद हिंद फौज के अंतिम जीवित सेनानियों में से एक हैं। वह मूल रूप से तमिलनाडु के परिवार से ताल्लुक रखते हैं और एक नवंबर, 1943 को आजाद हिंद फौज (आईएनए) में भर्ती होने से पहले एक असैनिक के रूप में ‘इंडियन इंडिपेंडेंस लीग' में शामिल हुए थे।'