असफलता से सीख बढ़ें मंजिल की ओर
अक्सर असफलता को हम अंतिम परिणाम मान लेते हैं, जबकि यह प्रयासों के क्रम में एक और सीख होती है, मंजिल नहीं। लेकिन जब मेहनत के बाद सफलता हाथ नहीं लगती, तो युवा निराश हो जाते हैं। अवसाद से बाहर निकलने की राह परिजनों-दोस्तों से बातचीत व विकल्प सोच नये लक्ष्य तय कर आगे बढ़ना है।
राजेंद्र कुमार शर्मा
हर वर्ष लाखों विद्यार्थी मेडिकल, इंजीनियरिंग या विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए जरूरी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। ये परीक्षाएं कई युवाओं के लिए स्वप्न की तरह होती हैं, जिनके सहारे वे अपने जीवन को एक दिशा देना चाहते हैं। लेकिन जब मेहनत के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती, तो बहुत से युवा हताश हो जाते हैं। कुछ तो इतने टूट जाते हैं कि आत्मग्लानि, निराशा और अवसाद उन्हें घेर लेता हैं, कई इसी अवसाद के चलते जीवन की जंग भी हार बैठते हैं जो कदाचित उचित नहीं ठहराया जा सकता। जीवन जीने के लिए मिला है न कि निराशा में हारने के लिए।
असफलता – एक सीख
असफलता को अक्सर हम अंतिम परिणाम मान लेते हैं, जबकि यह तो एक सीख होती है। थॉमस अल्वा एडिसन ने जब हजारों बार बल्ब बनाने में असफलता पाई, तो उन्होंने कहा, ‘मैं असफल नहीं हुआ, मैंने 10,000 तरीके खोजे जो काम नहीं करते।’ यही नजरिया हमें अपनाना होगा। किसी एक परीक्षा में असफल हो जाना, यह सिद्ध नहीं करता कि आप अयोग्य हैं। यह केवल बताता है कि या तो तैयारी में कुछ कमी रह गई, या फिर यह रास्ता आपके लिए नहीं बना था। यह एक संकेत है कि शायद आपकी मंज़िल कहीं और है, और वहां तक पहुंचने के लिए अब कोई और राह अपनानी है।
अवसाद नहीं, आत्ममंथन करें
जब हम किसी लक्ष्य में असफल होते हैं, तो स्वाभाविक रूप से दुख होता है, लेकिन यह दुख कब अवसाद में बदल जाता है, यह हमें पता भी नहीं चलता। इस अवसाद से बाहर निकलने का सबसे बड़ा तरीका है ‘ संवाद’। अपने परिवार से, दोस्तों से, और सबसे बढ़कर, अपने आप से बात करें। खुद से पूछें ‘क्या वाकई यह मेरे जीवन का अंत है?’, ‘क्या मैं कुछ और नहीं कर सकता?’ जीवन एक बहुपक्षीय यात्रा है, जिसमें एक दरवाज़ा बंद होता है तो कई नए रास्ते खुलते हैं। इस समय आत्ममंथन करें क्या यह कैरियर वास्तव में मेरी रुचि के अनुसार था? क्या मुझे किसी और क्षेत्र में ज्यादा खुशी और संतोष मिल सकता है? ढूंढिए अपनी छुपी हुई रुचियों को जो आपको आपके वर्तमान रुझान से ज्यादा खुशी देगी।
कैरियर के विकल्प असीम
आज की दुनिया में कैरियर के विकल्प अनगिनत हैं। केवल डॉक्टर, इंजीनियर या सरकारी अधिकारी बनना ही सफलता का पैमाना नहीं है। लेखन, संगीत, नृत्य, चित्रकला, डिजाइनिंग, डाटा एनालिटिक्स, डिजिटल मार्केटिंग, आंत्रप्रेन्योरशिप, सामाजिक कार्य — न जाने कितने रास्ते खुले हैं। जो विद्यार्थी नीट और जे ई ई में सफल नहीं हो पाए, वे बायोटेक्नोलॉजी, फार्मा, पर्यावरण विज्ञान, एग्रीकल्चर, पैरामेडिकल जैसे अनगनित क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं। जो युवा यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन या स्टाफ सिलेक्शन कमीशन या बैंकिंग परीक्षाओं में पिछड़ गए, वे निजी क्षेत्र, स्टार्टअप्स या रिसर्च के क्षेत्र में नया मुकाम बना सकते हैं।
लक्ष्य पुनः करें निर्धारित
असफलता के बाद कुछ समय के लिए रुका जा सकता है , लेकिन ठहरना नहीं चाहिए। यह समय दोबारा सोचने, खुद को समझने और नए लक्ष्य निर्धारित करने का होता है। आप चाहें तो उसी परीक्षा की तैयारी और मजबूती से करें, या कोई नया क्षेत्र चुनें पर यह निर्णय एक शांत मन, गहराई से सोचने के बाद लें। यह भी याद रखें कि सफलता का कोई एक निश्चित रास्ता नहीं होता। हर किसी का सफर अलग होता है। कुछ लोग जल्दी सफल होते हैं, कुछ को देर लगती है, लेकिन देर से मिली सफलता अधिक स्थायी होती है। सफलता में देर से और जल्दी से कोई मायने नहीं रखता है।
परिवार-समाज की भूमिका
कई बार युवा इसलिए भी टूट जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परिवार और समाज उन्हें असफल मानने लगे हैं। ऐसे में माता-पिता, शिक्षकों और समाज के लिए भी संदेश है कि बच्चों को नंबरों और अंकों से मत आंकिए। उन्हें भावनात्मक सहारा दीजिए, उनके साथ बैठिए, उनकी तकलीफों को समझिए। बच्चों की मानसिक सेहत सबसे ज़रूरी है। वे अगर आज असफल हुए हैं, तो कल वो कुछ ऐसा कर सकते हैं जिस पर आप गर्व करेंगे। उन्हें यह विश्वास दीजिए कि आप हर हाल में उनके साथ हैं।
सफलता आपकी प्रतीक्षा में
जीवन में असफलता एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं। जब कोई एक दरवाज़ा बंद होता है, तो कई और दरवाज़े खुलते हैं यह सत्य केवल किताबों तक सीमित न रहे, इसे जीने की कोशिश करें। हर युवा और किशोर के भीतर अपार संभावनाएं हैं। आज नहीं तो कल, आपकी मेहनत और लगन ज़रूर रंग लाएगी। बस एक बात याद रखिए प्रयास रुकना नहीं चाहिए। सफलता अंततः आपके कदम चूमेगी, यह निश्चित है।