अब घर जैसा मनोरंजन महसूस करा रहा ‘ओटीटी’
मनोरंजन के नए माध्यम ओटीटी के बारे में इमेज बन गई थी कि इस पर सिर्फ अपराध कथाएं ही दिखाई जाती हैं। कुछ सालों तक यह बात सही भी लगी। पर, जब दर्शक ऊबने लगे, तो इसमें बदलाव लाया गया। अब ओटीटी पर सामाजिक पृष्ठभूमि पर गढ़ी कहानियां व रिश्तों का ताना-बाना ज्यादा दिखाई देने लगा। दर्शकों को ओटीटी का नया चेहरा पसंद आने लगा है। ‘राजश्री’ की पहली वेब सीरीज भी पसंद की। ‘आचारी बा’, ‘मिसेज’,‘मीनाक्षी सुंदरम’ व ‘अमर सिंह चमकीला’ ने भी तारीफें बटोरी।
हेमंत पाल
सिनेमा की दुनिया में कोरोना काल और उसके बाद बड़ा बदलाव आया। क्योंकि, यह वो समय काल था, जिसने जीवन के हर क्षेत्र पर असर डाला। मनोरंजन क्षेत्र पर असर यह पड़ा कि सिनेमाघर बंद हो गए, टीवी सीरियलों की शूटिंग बंद होने से टीवी पर भी पुराने कार्यक्रम दिखाए गए। ऐसे में मोबाइल पर ‘ओटीटी’ नाम से मनोरंजन की एक दुनिया का जन्म हुआ। कोरोना के दौरान ओटीटी ने लोगों का मन बहलाया। कोरोना काल के बाद समझा जाने लगा था, कि अब ओटीटी के दर्शकों की संख्या पर असर आएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। मोबाइल तक सीमित मनोरंजन का यह नया माध्यम स्मार्ट टीवी का प्रमुख हिस्सा बन गया और दायरा भी विस्तारित हुआ। शुरुआत में ओटीटी पर अधिकांश वेब सीरीज अपराध केंद्रित होती थी। क्रिमिनल जस्टिस, महाराजा, पाताल लोक, दिल्ली क्राइम, फोरेंसिक, और ‘आर्या’ जैसी कई वेब सीरीज ने दर्शकों को आकर्षित भी किया। लेकिन, धीरे-धीरे दर्शक इन एक जैसी अपराध कथाओं से ऊबने लगे। इन्हें पूरा परिवार एक साथ देख भी नहीं सकता है। इस कंटेंट के विरोध की आवाज उठने लगी। लेकिन, एक-डेढ़ साल में ओटीटी पर तेजी से बदलाव आया। इसका प्रमाण है कि राजश्री जैसे प्रोडक्शन हाउस ने भी अपनी पहली वेब सीरीज ‘बड़ा नाम करेगा’ ओटीटी के लिए बनाई। पारिवारिक रिश्तों की उलझन वाले किस्सों को प्रधानता दी जाने लगी, जिस ओटीटी पर कभी अपराध की बाढ़ थी, वहां अब रिश्तों का सामंजस्य दिखाई देने लगा।
औरत की बदलती भूमिका का लेखा-जोखा
कई वेब सीरीज और ओटीटी के लिए बनी फिल्में ओटीटी का चेहरा बदलने का जरिया बनीं। आरती कदव डायरेक्टेड फिल्म ‘मिसेज’ की कहानी हर महिला से जुड़ी लगती है। इसमें सान्या मल्होत्रा की मुख्य भूमिका है जिसमें एक महिला के संघर्ष को दिखाया गया। वो कैसे पितृसत्ता की मानसिकता से लड़कर अपने सपने पूरा करती है। इसकी कहानी ऋचा (सान्या मल्होत्रा) की है। उसे डांसर बनना था, पर घर की जिम्मेदारियों के बीच उसके सपने पीछे छूट जाते हैं। यह मलयाली फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ का हिंदी रीमेक है। सान्या मल्होत्रा की ही फिल्म ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ भी ऐसी महिला की कहानी है, जिसके पति की शादी के कुछ दिन बाद ही दूसरे शहर में नौकरी लग जाती है। लांग डिस्टेंस मैरिज के साइड इफेक्ट दिखाती ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ में सान्या मल्होत्रा ने एक्टिंग की है। इसी तरह रवीना टंडन की फिल्म ‘पटना शुक्ला’ सामाजिक मुद्दे पर है। ये एक हाउसवाइफ की कहानी जो वकील है, पर कोई उसे गंभीरता से नहीं लेता। वो अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष करती है।
राजश्री का ओटीटी पर आना
फिल्मों में राजश्री प्रोडक्शन नाम अपनी अलग पहचान रखता है। ऐसे में ओटीटी में उनका आना मनोरंजन के इस माध्यम को सहयोग करेगा। ‘बड़ा नाम करेंगे’ राजश्री की वेब सीरीज है, जिसमें बड़ी सहजता से रिश्तों का तानाबाना बुना गया है। कोरोना काल में मुंबई से शुरू होने के बाद कहानी उज्जैन, इंदौर और रतलाम पहुंच जाती है। कथानक की नायिका और नायक संयोग से पांच दिन एक ही घर में रहने को मजबूर होते हैं। बाद में उनकी शादी की बात चलती है। दोनों पहले से परिचित हैं, ये बताने का समय नहीं मिलता और ‘फूफाजी’ शादी में अड़चन बनने लगते हैं। ऐसी ही वेब सीरीज है ‘पैठणी!’ जिसमें एक बेटी और मां की कहानी है। मां पैठणी बुनने वाले केंद्र में कारीगर का काम करती है। उसका अनुभव है कि पैठनी बुनने वालों को कभी पहनने का सौभाग्य नहीं मिलता। पर, बेटी ये सपना सच कर देती है।
नए रिश्ते गढ़ने की कहानी कहती ‘आचारी बा’
फिल्म ‘आचारी बा’ में ऐसी महिला है, जिसके हाथ में स्वादिष्ट अचार बनाने का जादू है। बा को उनका बेटा मुंबई बुलाता है। वहां जाकर पता चलता है कि बेटे ने उसे परिवार के साथ समय बिताने के लिए नहीं, बल्कि घर और पालतू कुत्ते की देखभाल करनी है। बेटा-बहू विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। शहर में बा खुद को एक शरारती कुत्ते के साथ घर में अकेला पाती है। वहीं ‘आचारी बा’ का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है, जिसमें वे अचार रेसिपी बता रही हैं। यहीं से बा के ‘आचारी बा’ बनने का सफर शुरू होता है।
लीक से हटकर वेब सीरीज और फ़िल्में
कुछ अलग सी कहानियों में एक ‘द स्टोरी टेलर’ भी है, जो सत्यजीत रे की शॉर्ट स्टोरी ‘गोलपो बोलिये तारिणी खुरो’ पर आधारित है। ये एक कहानीकार पर केंद्रित है, जिसे एक बिजनेसमैन नियुक्त करता है। कहानीकार उसे सोने में मदद करने के लिए कहानियां सुनाता है। लेकिन इस बिजनेसमैन के असली इरादे कुछ और ही हैं। परेश रावल ने तारिणी बंदोपाध्याय की भूमिका की है। आमिर खान प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडिज’ इस साल सुर्खियों में रही। यह फिल्म हर महिला में आत्मविश्वास जगाती है, जो अपने सपनों के लिए संघर्ष करती है।
नामचीन शख्सियतों पर कथानक
पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला की बायोपिक ‘चमकीला’ में दिलजीत दोसांझ ने मुख्य भूमिका निभाई है। इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी यह फिल्म लुधियाना के गांव धुबरी में जन्मे पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में साल 1979 से 1988 तक राज करने वाले गायक अमर सिंह चमकीला के विवादास्पद जीवन पर आधारित है। उनकी गायकी के लोग दीवाने थे। 27 साल की उम्र में अज्ञात हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी थी। राजकुमार राव की फिल्म ‘श्रीकांत’ भी अपना असर छोड़ने में कामयाब रही जो उद्योगपति श्रीकांत बोल्ला की कहानी है, जो अपनी आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन उन्होंने करीब 500 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर विकलांगों के लिए रोजगार के अवसर खोले थे।
पुराने नामचीन खिलाड़ियों की सच्ची कहानियां
खिलाड़ियों का जिक्र किया जाए, तो ‘चंदू चैंपियन’ कबीर खान के निर्देशन में बनी बायोपिक फिल्म है, जो परदे पर तो खास कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन ओटीटी पर इस फिल्म को पसंद किया गया। कार्तिक आर्यन की अदाकारी ने खूब तारीफें बटोरी। यह फिल्म भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर पर आधारित है। बॉक्सिंग के वंडर बॉय बनने और आखिर में 1965 की जंग में अपने शरीर पर 9 गोलियां खाने तक सफर जारी रहा। वह देश का पहला पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी बने। अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ फुटबॉल से जुड़ी सत्य घटना पर आधारित है। यह महान कोच सैयद अब्दुल रहीम की कहानी है, जिनकी भूमिका अजय देवगन ने निभाई है। इसके अलावा भी कई ऐसी वेब सीरीज हैं, जो दर्शकों को पसंद आयीं।